1. याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है।
2. यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।
3. वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।
4. वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।
5. हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।