6. उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करूणा सदा की है।
7. उसने बड़ी बड़ी ज्योतियों बनाईं, उसकी करूणा सदा की है।
8. दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
9. और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
10. उसने मिस्त्रियों के पहिलौठों को मारा, उसकी करूणा सदा की है॥
11. और उनके बीच से इस्राएलियों को निकाला, उसकी करूणा सदा की है।
12. बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाया, उसकी करूणा सदा की है।