3. याह की स्तुति करो, क्योंकि यहोवा भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मन भाऊ है!
4. याह ने तो याकूब को अपने लिये चुना है, अर्थात इस्राएल को अपने निज धन होने के लिये चुन लिया है।
5. मैं तो जानता हूं कि हमारा प्रभु यहोवा सब देवताओं से महान है।
6. जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और सब गहिरे स्थानों में किया है।
7. वह पृथ्वी की छोर से कुहरे उठाता है, और वर्षा के लिये बिजली बनाता है, और पवन को अपने भण्डार में से निकालता है।
8. उसने मिस्त्र में क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मार डाला!
9. हे मिस्त्र, उसने तेरे बीच में फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के बीच चिन्ह और चमत्कार किए।
10. उसने बहुत सी जातियां नाश की, और सामर्थी राजाओं को,
11. अर्थात एमोरियों के राजा सीहोन को, और बाशान के राजा ओग को, और कनान के सब राजाओं को घात किया;
12. और उनके देश को बांट कर, अपनी प्रजा इस्राएल के भाग होने के लिये दे दिया॥
13. हे यहोवा, तेरा नाम सदा स्थिर है, हे यहोवा जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी- पीढ़ी बना रहेगा।