11. अर्थात एमोरियों के राजा सीहोन को, और बाशान के राजा ओग को, और कनान के सब राजाओं को घात किया;
12. और उनके देश को बांट कर, अपनी प्रजा इस्राएल के भाग होने के लिये दे दिया॥
13. हे यहोवा, तेरा नाम सदा स्थिर है, हे यहोवा जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी- पीढ़ी बना रहेगा।
14. यहोवा तो अपनी प्रजा का न्याय चुकाएगा, और अपने दासों की दुर्दशा देख कर तरस खाएगा।
15. अन्यजातियों की मूरतें सोना- चान्दी ही हैं, वे मनुष्यों की बनाईं हुई हैं।
16. उनके मुंह तो रहता है, परन्तु वे बोल नहीं सकतीं, उनके आंखें तो रहती हैं, परन्तु वे देख नहीं सकतीं,
17. उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं, न उनके कुछ भी सांस चलती है।
18. जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले भी हैं; और उन पर सब भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे!
19. हे इस्राएल के घराने यहोवा को धन्य कह! हे हारून के घराने यहोवा को धन्य कह!
20. हे लेवी के घराने यहोवा को धन्य कह! हे यहोवा के डरवैयो यहोवा को धन्य कहो!
21. यहोवा जो यरूशलेम में वास करता है, उसे सिय्योन में धन्य कहा जावे! याह की स्तुति करो!