10. मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत ही दु:खित हुआ;
11. मैं ने उतावली से कहा, कि सब मनुष्य झूठे हैं॥
12. यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूं?
13. मैं उद्धार का कटोरा उठा कर, यहोवा से प्रार्थना करूंगा,
14. मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें सभों की दृष्टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के साम्हने पूरी करूंगा।
15. यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है।