6. और आकाश और पृथ्वी पर भी, दृष्टि करने के लिये झुकता है।
7. वह कंगाल को मिट्टी पर से, और दरिद्र को घूरे पर से उठा कर ऊंचा करता है,
8. कि उसको प्रधानों के संग, अर्थात अपनी प्रजा के प्रधानों के संग बैठाए।
9. वह बांझ को घर में लड़कों की आनन्द करने वाली माता बनाता है। याह की स्तुति करो!