3. हे यहोवा, मैं देश देश के लोगों के मध्य में तेरा धन्यवाद करूंगा, और राज्य राज्य के लोगों के मध्य में तेरा भजन गाऊंगा।
4. क्योंकि तेरी करूणा आकाश से भी ऊंची है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक है॥
5. हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर हो! और तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर हो!
6. इसलिये कि तेरे प्रिय छुड़ाए जाएं, तू अपने दाहिने हाथ से बचा ले और हमारी बिनती सुन ले!
7. परमेश्वर ने अपनी पवित्रता में होकर कहा है, मैं प्रफुल्लित होकर शेकेम को बांट लूंगा, और सुक्कोत की तराई को नपवाऊंगा।