37. और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें।
38. और वह उन को ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता॥
39. फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं।
40. और वह हाकिमों को अपमान से लाद कर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;