9. वही वाचा जो उसने इब्राहीम के साथ बान्धी, और उसके विषय में उसने इसहाक से शपथ खाई,
10. और उसी को उसने याकूब के लिये विधि करके, और इस्राएल के लिये यह कह कर सदा की वाचा करके दृढ़ किया,
11. कि मैं कनान देश को तुझी को दूंगा, वह बांट में तुम्हारा निज भाग होगा॥
12. उस समय तो वे गिनती में थोड़े थे, वरन बहुत ही थोड़े, और उस देश में परदेशी थे।
13. वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक राज्य से दूसरे राज्य में फिरते रहे;
14. परन्तु उसने किसी मनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,
15. कि मेरे अभिषिक्तों को मत छुओ, और न मेरे नबियों की हानि करो!
16. फिर उसने उस देश में अकाल भेजा, और अन्न के सब आधार को दूर कर दिया।
17. उसने यूसुफ नाम एक पुरूष को उन से पहिले भेजा था, जो दास होने के लिये बेचा गया था।
18. लोगों ने उसके पैरों में बेड़ियां डाल कर उसे दु:ख दिया; वह लोहे की सांकलों से जकड़ा गया;