1. हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है,
2. जो उजियाले को चादर की नाईं ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है,
3. जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है,
4. जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है॥
5. तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।