15. मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
16. जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
17. परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
18. अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं॥