19. क्योंकि यहोवा ने अपने ऊंचे और पवित्र स्थान से दृष्टि करके स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा है,
20. ताकि बन्धुओं का कराहना सुने, और घात होन वालों के बन्धन खोले;
21. और सिय्योन में यहोवा के नाम का वर्णन किया जाए, और यरूशलेम में उसकी स्तुति की जाए;
22. यह उस समय होगा जब देश देश, और राज्य राज्य के लोग यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे होंगे॥