प्रेरितों के काम 27:32-44 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

32. तब सिपाहियों ने रस्से काटकर डोंगी गिरा दी।

33. जब भोर होने पर थी, तो पौलुस ने यह कहके, सब को भोजन करने को समझाया, कि आज चौदह दिन हुए कि तुम आस देखते देखते भूखे रहे, और कुछ भोजन न किया।

34. इसलिये तुम्हें समझाता हूं; कि कुछ खा लो, जिस से तुम्हारा बचाव हो; क्योंकि तुम में से किसी के सिर पर एक बाल भी न गिरेगा।

35. और यह कहकर उस ने रोटी लेकर सब के साम्हने परमेश्वर का धन्यवाद किया; और तोड़कर खाने लगा।

36. तब वे सब भी ढाढ़स बान्धकर भोजन करने लगे।

37. हम सब मिलकर जहाज पर दो सौ छिहत्तर जन थे।

38. जब वे भोजन करके तृप्त हुए, तो गेंहू को समुद्र में फेंक कर जहाज हल्का करने लगे।

39. जब बिहान हुआ, तो उन्होंने उस देश को नहीं पहिचाना, परन्तु एक खाड़ी देखी जिस का चौरस किनारा था, और विचार किया, कि यदि हो सके, तो इसी पर जहाज को टिकाएं।

40. तब उन्होंने लंगरों को खोलकर समुद्र में छोड़ दिया और उसी समय पतवारों के बन्धन खोल दिए, और हवा के साम्हने अगला पाल चढ़ाकर किनारे की ओर चले।

41. परन्तु दो समुद्र के संगम की जगह पड़कर उन्होंने जहाज को टिकाया, और गलही तो धक्का खाकर गड़ गई, और टल न सकी; परन्तु पिछाड़ी लहरों के बल से टूटने लगी।

42. तब सिपाहियों का यह विचार हुआ, कि बन्धुओं को मार डालें; ऐसा न हो, कि कोई तैर के निकल भागे।

43. परन्तु सूबेदार ने पौलुस को बचाने को इच्छा से उन्हें इस विचार से रोका, और यह कहा, कि जो तैर सकते हैं, पहिले कूदकर किनारे पर निकल जाएं।

44. और बाकी कोई पटरों पर, और कोई जहाज की और वस्तुओं के सहारे निकल जाएं, और इस रीति से सब कोई भूमि पर बच निकले॥

प्रेरितों के काम 27