16. इस से मैं आप भी यतन करता हूं, कि परमेश्वर की, और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे।
17. बहुत वर्षों के बाद मैं अपने लोगों को दान पहुंचाने, और भेंट चढ़ाने आया था।
18. उन्होंने मुझे मन्दिर में, शुद्ध दशा में बिना भीड़ के साथ, और बिना दंगा करते हुए इस काम में पाया - हां आसिया के कई यहूदी थे - उन को उचित था,
19. कि यदि मेरे विरोध में उन की कोई बात हो तो यहां तेरे साम्हने आकर मुझ पर दोष लगाते।
20. या ये आप ही कहें, कि जब मैं महासभा के साम्हने खड़ा था, तो उन्होंने मुझ से कौन सा अपराध पाया?
21. इस एक बात को छोड़ जो मैं ने उन के बीच में खड़े होकर पुकार कर कहा था, कि मरे हुओं के जी उठने के विषय में आज मेरा तुम्हारे साम्हने मुकद्दमा हो रहा है॥
22. फेलिक्स ने जो इस पन्थ की बातें ठीक ठीक जानता था, उन्हें यह कहकर टाल दिया, कि जब पलटन का सरदार लूसियास आएगा, तो तुम्हारी बात का निर्णय करूंगा।