9. और मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, परन्तु जो मुझ से बोलता था उसका शब्द न सुना।
10. तब मैने कहा; हे प्रभु मैं क्या करूं प्रभु ने मुझ से कहा; उठकर दमिश्क में जा, और जो कुछ तेरे करने के लिये ठहराया गया है वहां तुझ से सब कह दिया जाएगा।
11. जब उस ज्योति के तेज के मारे मुझे कुछ दिखाई न दिया, तो मैं अपने साथियों के हाथ पकड़े हुए दमिश्क में आया।
12. और हनन्याह नाम का व्यवस्था के अनुसार एक भक्त मनुष्य, जो वहां के रहने वाले सब यहूदियों में सुनाम था, मेरे पास आया।