10. तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो कि चेलों की गरदन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बाप दादे उठा सके थे और न हम उठा सकते।
11. हां, हमारा यह तो निश्चय है, कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे; उसी रीति से हम भी पाएंगे॥
12. तब सारी सभा चुपचाप होकर बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्वर ने उन के द्वारा अन्यजातियों में कैसे कैसे चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाए।
13. जब वे चुप हुए, तो याकूब कहने लगा, कि॥
14. हे भाइयो, मेरी सुनो: शमौन ने बताया, कि परमेश्वर ने पहिले पहिल अन्यजातियों पर कैसी कृपा दृष्टि की, कि उन में से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले।
15. और इस से भविष्यद्वक्ताओं की बातें मिलती हैं, जैसा लिखा है, कि।
16. इस के बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊंगा, और उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा, और उसे खड़ा करूंगा।
17. इसलिये कि शेष मनुष्य, अर्थात सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूंढें।
18. यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।
19. इसलिये मेरा विचार यह है, कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दु:ख न दें।
20. परन्तु उन्हें लिख भेंजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के मांस से और लोहू से परे रहें।
21. क्योंकि पुराने समय से नगर नगर मूसा की व्यवस्था के प्रचार करने वाले होते चले आए है, और वह हर सब्त के दिन अराधनालय में पढ़ी जाती है।