1. फिर उस ने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेंम्ने के सिंहासन से निकल कर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी।
2. और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।
3. और फिर श्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे।
4. और उसका मुंह देखेंगे, और उसका नाम उन के माथों पर लिखा हुआ होगा।