7. और उसे यह अधिकार दिया गया, कि पवित्र लोगों से लड़े, और उन पर जय पाए, और उसे हर एक कुल, और लोग, और भाषा, और जाति पर अधिकार दिया गया।
8. और पृथ्वी के वे सब रहने वाले जिन के नाम उस मेम्ने की जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे।
9. जिस के कान हों वह सुने।
10. जिस को कैद में पड़ना है, वह कैद में पड़ेगा, जो तलवार से मारेगा, अवश्य है कि वह तलवार से मारा जाएगा, पवित्र लोगों का धीरज और विश्वास इसी में है॥
11. फिर मैं ने एक और पशु को पृथ्वी में से निकलते हुए देखा, उसके मेम्ने के से दो सींग थे; और वह अजगर की नाईं बोलता था।
12. और यह उस पहिले पशु का सारा अधिकार उसके साम्हने काम में लाता था, और पृथ्वी और उसके रहने वालों से उस पहिले पशु की जिस का प्राण घातक घाव अच्छा हो गया था, पूजा कराता था।
13. और वह बड़े बड़े चिन्ह दिखाता था, यहां तक कि मनुष्यों के साम्हने स्वर्ग से पृथ्वी पर आग बरसा देता था।
14. और उन चिन्हों के कारण जिन्हें उस पशु के साम्हने दिखाने का अधिकार उसे दिया गया था; वह पृथ्वी के रहने वालों को इस प्रकार भरमाता था, कि पृथ्वी के रहने वालों से कहता था, कि जिस पशु के तलवार लगी थी, वह जी गया है, उस की मूरत बनाओ।
15. और उसे उस पशु की मूरत में प्राण डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूरत बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूरत की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले।