4. और जब सातों गर्जन के शब्द सुनाई दे चुके, तो मैं लिखने पर था, और मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, कि जो बातें गर्जन के उन सात शब्दों से सुनी हैं, उन्हें गुप्त रख, और मत लिख।
5. और जिस स्वर्गदूत को मैं ने समुद्र और पृथ्वी पर खड़े देख था; उस ने अपना दाहिना हाथ स्वर्ग की ओर उठाया।
6. और जो युगानुयुग जीवता रहेगा, और जिस ने सवर्ग को और जो कुछ उस में है, और पृथ्वी को और जो कुछ उस पर है, और समुद्र को और जो कुछ उस में है सृजा उसी की शपथ खा कर कहा, अब तो और देर न होगी।
7. वरन सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में जब वह तुरही फूंकने पर होगा, तो परमेश्वर का गुप्त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।