10. परन्तु यदि तू चढ़ाई करते डरता हो, तो अपने सेवक फूरा को संग ले कर छावनी के पास जा कर सुन,
11. कि वे क्या कह रहे है; उसके बाद तुझे उस छावनी पर चढ़ाई करने का हियाव होगा। तब वह अपने सेवक फूरा को संग ले उन हथियार-बन्दों के पास जो छावनी की छोर पर थे उतर गया।
12. मिद्यानी और अमालेकी और सब पूर्वी लोग तो टिड्डियों के समान बहुत से तराई में फैले पड़े थे; और उनके ऊंट समुद्रतीर के बालू के किनकों के समान गिनती से बाहर थे।
13. जब गिदोन वहां आया, तब एक जन अपने किसी संगी से अपना स्वप्न यों कह रहा था, कि सुन, मैं ने स्वप्न में क्या देखा है कि जौ की एक रोटी लुढ़कते लुढ़कते मिद्यान की छावनी में आई, और डेरे को ऐसा टक्कर मारा कि वह गिर गया, और उसको ऐसा उलट दिया, कि डेरा गिरा पड़ा रहा।
14. उसके संगी ने उत्तर दिया, यह योआश के पुत्र गिदोन नाम एक इस्राएली पुरूष की तलवार को छोड़ कुछ नहीं है; उसी के हाथ में परमेश्वर ने मिद्यान को सारी छावनी समेत कर दिया है॥
15. उस स्वप्न का वर्णन और फल सुनकर गिदोन ने दण्डवत की; और इस्राएल की छावनी में लौटकर कहा, उठो, यहोवा ने मिद्यानी सेना को तुम्हारे वश में कर दिया है।
16. तब उसने उन तीन सौ पुरूषों के तीन झुण्ड किए, और एक एक पुरूष के हाथ में एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया, और घड़ों के भीतर एक मशाल थी।
17. फिर उसने उन से कहा, मुझे देखो, और वैसा ही करो; सुनो, जब मैं उस छावनी की छोर पर पहुंचूं, तब जैसा मैं करूं वैसा ही तुम भी करना।
18. अर्थात जब मैं और मेरे सब संगी नरसिंगा फूंकें तब तुम भी छावनी की चारों ओर नरसिंगे फूंकना, और ललकारना, कि यहोवा की और गिदोन की तलवार॥
19. बीच वाले पहर के आदि में ज्योंही पहरूओं की बदली हो गई थी त्योहीं गिदोन अपने संग के सौ पुरूषों समेत छावनी की छोर पर गया; और नरसिंगे को फूंक दिया और अपने हाथ के घड़ों को तोड़ डाला।
20. तब तीनों झुण्डों ने नरसिंगों को फूंका और घड़ों को तोड़ डाला; और अपने अपने बाएं हाथ में मशाल और दाहिने हाथ में फूंकने को नरसिंगा लिए हुए चिल्ला उठे, यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार।