1. जब एहूद मर गया तब इस्राएलियों ने फिर यहोवा की दृष्टि में बुरा किया।
2. इसलिये यहोवा ने उन को हासोर में विराजने वाले कनान के राजा याबीन के आधीन में कर दिया, जिसका सेनापति सीसरा था, जो अन्यजातियों की हरोशेत का निवासी था।
3. तब इस्राएलियों ने यहोवा की दोहाई दी; क्योंकि सीसरा के पास लोहे के नौ सौ रथ थे, और वह इस्राएलियों पर बीस वर्ष तक बड़ा अन्धेर करता रहा।
4. उस समय लप्पीदोत की स्त्री दबोरा जो नबिया थी इस्राएलियों का न्याय करती थी।
5. वह एप्रैम के पहाड़ी देश में रामा और बेतेल के बीच में दबोरा के खजूर के तले बैठा करती थी, और इस्राएली उसके पास न्याय के लिये जाया करते थे।
6. उसने अबीनोअम के पुत्र बाराक को केदेश नप्ताली में से बुलाकर कहा, क्या इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यह आज्ञा नहीं दी, कि तू जा कर ताबोर पहाड़ पर चढ़ और नप्तालियों और जबूलूनियों में के दस हजार पुरूषों को संग ले जा?