17. फिर यहूदा ने अपने भाई शिमोन के संग जा कर सपत में रहने वाले कनानियों को मार लिया, और उस नगर को सत्यानाश कर डाला। इसलिये उस नगर का नाम होर्मा पड़ा।
18. और यहूदा ने चारों ओर की भूमि समेत अज्जा, अशकलोन, और एक्रोन को ले लिया।
19. और यहोवा यहूदा के साथ रहा, इसलिये उसने पहाड़ी देश के निवासियों निकाल दिया; परन्तु तराई के निवासियों के पास लोहे के रथ थे, इसलिये वह उन्हें न निकाल सका।
20. और उन्होंने मूसा के कहने के अनुसार हेब्रोन कालेब को दे दिया: और उसने वहां से अनाक के तीनों पुत्रों को निकाल दिया।
21. और यरूशलेम में रहने वाले यबूसियों को बिन्यामीनियों ने न निकाला; इसलिये यबूसी आज के दिन तक यरूशलेम में बिन्यामीनियों के संग रहते हैं॥
22. फिर यूसुफ के घराने ने बेतेल पर चढ़ाई की; और यहोवा उनके संग था।
23. और यूसुफ के घराने ने बेतेल का भेद लेने को लोग भेजे। (और उस नगर का नाम पूर्वकाल में लूज था।)
24. और पहरूओं ने एक मनुष्य को उस नगर से निकलते हुए देखा, और उस से कहा, नगर में जाने का मार्ग हमें दिखा, और हम तुझ पर दया करेंगे।
25. जब उसने उन्हें नगर में जाने का मार्ग दिखाया, तब उन्होंने नगर को तो तलवार से मारा, परन्तु उस मनुष्य को सारे घराने समेत छोड़ दिया।
26. उस मनुष्य ने हित्तियों के देश में जा कर एक नगर बसाया, और उसका नाम लूज रखा; और आज के दिन तक उसका नाम वही है॥
27. मनश्शे ने अपने अपने गांवों समेत बेतशान, तानाक, दोर, यिबलाम, और मगिद्दों के निवासियों को न निकाला; इस प्रकार कनानी उस देश में बसे ही रहे।
28. परन्तु जब इस्राएली सामर्थी हुए, तब उन्होंने कनानियों से बेगारी ली, परन्तु उन्हें पूरी रीति से न निकाला॥
29. और एप्रैम ने गेजेर में रहने वाले कनानियों को न निकाला; इसलिये कनानी गेजेर में उनके बीच में बसे रहे॥
30. जबलून ने कित्रोन और नहलोल के निवासियों न निकाला; इसलिये कनानी उनके बीच में बसे रहे, और उनके वश में हो गए॥