23. अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिडिय़ा के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उस में मेरे प्राण जाएंगे॥
24. अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ।
25. तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरों में भूल कर न जाना;
26. क्योंकि बहुत से लोग उस के द्वारा मारे पड़े हैं; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी।
27. उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुंचाता है॥