14. मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नते आज ही पूरी की हैं;
15. इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, सो अभी पाया है।
16. मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटे वाले कपड़े बिछाए हैं;
17. मैं ने अपने बिछौने पर गन्घरस, अगर और दालचीनी छिड़की है।
18. इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।
19. क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है;
20. वह चान्दी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा॥
21. ऐसी ही बातें कह कह कर, उस ने उस को अपनी प्रबल माया में फंसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उस को अपने वश में कर लिया।
22. वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, और जैसे बैल कसाई-खाने को, वा जैसे बेड़ी पहिने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है।