13. तब उस ने उस जवान को पकड़ कर चूमा, और निर्लज्जता की चेष्टा कर के उस से कहा,
14. मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नते आज ही पूरी की हैं;
15. इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, सो अभी पाया है।
16. मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटे वाले कपड़े बिछाए हैं;
17. मैं ने अपने बिछौने पर गन्घरस, अगर और दालचीनी छिड़की है।
18. इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।
19. क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है;