नीतिवचन 26:13-24 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

13. आलसी कहता है, कि मार्ग में सिंह है, चौक में सिंह है!

14. जैसे किवाड़ अपनी चूल पर घूमता है, वैसे ही आलसी अपनी खाट पर करवटें लेता है।

15. आलसी अपना हाथ थाली में तो डालता है, परन्तु आलस्य के कारण कौर मुंह तक नहीं उठाता।

16. आलसी अपने को ठीक उत्तर देने वाले सात मनुष्यों से भी अधिक बुद्धिमान समझता है।

17. जो मार्ग पर चलते हुए पराये झगड़े में विघ्न डालता है, सो वह उसके समान है, जो कुत्ते को कानों से पकड़ता है।

18. जैसा एक पागल जो जंगली लकडिय़ां और मृत्यु के तीर फेंकता है,

19. वैसा ही वह भी होता है जो अपने पड़ोसी को धोखा दे कर कहता है, कि मैं तो ठट्ठा कर रहा था।

20. जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है।

21. जैसा अंगारों में कोयला और आग में लकड़ी होती है, वैसा ही झगड़े के बढ़ाने के लिये झगडालू होता है।

22. कानाफूसी करने वाले के वचन, स्वादिष्ट भोजन के समान भीतर उतर जाते हैं।

23. जैसा कोई चान्दी का पानी चढ़ाया हुअ मिट्टी का बर्तन हो, वैसा ही बुरे मन वाले के प्रेम भरे वचन होते हैं।

24. जो बैरी बात से तो अपने को भोला बनाता है, परन्तु अपने भीतर छल रखता है,

नीतिवचन 26