14. गुप्त में दी हुई भेंट से क्रोध ठण्डा होता है, और चुपके से दी हुई घूस से बड़ी जलजलाहट भी थमती है।
15. न्याय का काम, करना धर्मी को तो आनन्द, परन्तु अनर्थकारियों को विनाश ही का कारण जान पड़ता है।
16. जो मनुष्य बुद्धि के मार्ग से भटक जाए, उसका ठिकाना मरे हुओं के बीच में होगा।
17. जो रागरंग से प्रीति रखता है, वह कंगाल होता है; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखता है, वह धनी नहीं होता।
18. दुष्ट जन धर्मी की छुडौती ठहरता है, और विश्वासघाती सीधे लोगों की सन्ती दण्ड भोगते हैं।
19. झगड़ालू और चिढ़ने वाली पत्नी के संग रहने से जंगल में रहना उत्तम है।