8. वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
9. तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;
10. क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तुझे मनभाऊ लगेगा;
11. विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी;
12. ताकि तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहने वालों से बचाए,
13. जो सीधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें;
14. जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं;