8. वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
9. तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;
10. क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तुझे मनभाऊ लगेगा;
11. विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी;