नीतिवचन 15:5-23 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

5. मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है।

6. धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्ट के उपार्जन में दु:ख रहता है।

7. बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता।

8. दुष्ट लोगों के बलिदान से यहोवा धृणा करता है, परन्तु वह सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।

9. दुष्ट के चाल चलन से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु जो धर्म का पीछा करता उस से वह प्रेम रखता है।

10. जो मार्ग को छोड़ देता, उस को बड़ी ताड़ना मिलती है, और जो डांट से बैर रखता, वह अवश्य मर जाता है।

11. जब कि अधोलोक और विनाशलोक यहोवा के साम्हने खुले रहते हैं, तो निश्चय मनुष्यों के मन भी।

12. ठट्ठा करने वाला डांटे जाने से प्रसन्न नहीं होता, और न वह बुद्धिमानों के पास जाता है।

13. मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दु:ख से आत्मा निराश होती है।

14. समझने वाले का मन ज्ञान की खोज में रहता है, परन्तु मूर्ख लोग मूढ़ता से पेट भरते हैं।

15. दुखिया के सब दिन दु:ख भरे रहते हैं, परन्तु जिसका मन प्रसन्न रहता है, वह मानो नित्य भोज में जाता है।

16. घबराहट के साथ बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साथ थोड़ा ही धन उत्तम है,

17. प्रेम वाले घर में साग पात का भोजन, बैर वाले घर में पाले हुए बैल का मांस खाने से उत्तम है।

18. क्रोधी पुरूष झगड़ा मचाता है, परन्तु जो विलम्ब से क्रोध करने वाला है, वह मुकद्दमों को दबा देता है।

19. आलसी का मार्ग कांटों से रून्धा हुआ होता है, परन्तु सीधे लोगों का मार्ग राजमार्ग ठहरता है।

20. बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख अपनी माता को तुच्छ जानता है।

21. निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है।

22. बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है।

23. सज्जन उत्तर देने से आनन्दित होता है, और अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है!

नीतिवचन 15