22. बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है।
23. सज्जन उत्तर देने से आनन्दित होता है, और अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है!
24. बुद्धिमान के लिये जीवन का मार्ग ऊपर की ओर जाता है, इस रीति से वह अधोलोक में पड़ने से बच जाता है।
25. यहोवा अहंकारियों के घर को ढा देता है, परन्तु विधवा के सिवाने को अटल रखता है।
26. बुरी कल्पनाएं यहोवा को घिनौनी लगती हैं, परन्तु शुद्ध जन के वचन मनभावने हैं।
27. लालची अपने घराने को दु:ख देता है, परन्तु घूस से घृणा करने वाला जीवित रहता है।
28. धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं, परन्तु दुष्टों के मुंह से बुरी बातें उबल आती हैं।
29. यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है।
30. आंखों की चमक से मन को आनन्द होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं।