26. जैसे दांत को सिरका, और आंख को धूंआ, वैसे आलसी उन को लगाता है जो उस को कहीं भेजते हैं।
27. यहोवा के भय मानने से आयु बढ़ती है, परन्तु दुष्टों का जीवन थोड़े ही दिनों का होता है।
28. धर्मियों को आशा रखने में आनन्द मिलता है, परन्तु दुष्टों की आशा टूट जाती है।
29. यहोवा खरे मनुष्य का गढ़ ठहरता है, परन्तु अनर्थकारियों का विनाश होता है।
30. धर्मी सदा अटल रहेगा, परन्तु दुष्ट पृथ्वी पर बसने न पाएंगे।
31. धर्मी के मुंह से बुद्धि टपकती है, पर उलट फेर की बात कहने वाले की जीभ काटी जायेगी।
32. धर्मी ग्रहणयोग्य बात समझ कर बोलता है, परन्तु दुष्टों के मुंह से उलट फेर की बातें निकलती हैं॥