26. तब उसने उसको छोड़ दिया। और उसी समय खतने के कारण वह बोली, तू लोहू बहाने वाला पति है।
27. तब यहोवा ने हारून से कहा, मूसा से भेंट करने को जंगल में जा। और वह गया, और परमेश्वर के पर्वत पर उससे मिला और उसको चूमा।
28. तब मूसा ने हारून को यह बतलाया कि यहोवा ने क्या क्या बातें कहकर उसको भेजा है, और कौन कौन से चिन्ह दिखलाने की आज्ञा उसे दी है।
29. तब मूसा और हारून ने जा कर इस्राएलियों के सब पुरनियों को इकट्ठा किया।
30. और जितनी बातें यहोवा ने मूसा से कही थी वह सब हारून ने उन्हें सुनाईं, और लोगों के साम्हने वे चिन्ह भी दिखलाए।
31. और लोगों ने उनकी प्रतीति की; और यह सुनकर, कि यहोवा ने इस्राएलियों की सुधि ली और उनके दु:खों पर दृष्टि की है, उन्होंने सिर झुका कर दण्डवत की॥