32. इस प्रकार मिलाप वाले तम्बू के निवास का सब काम समाप्त हुआ, और जिस जिस काम की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी, इस्त्राएलियों ने उसी के अनुसार किया॥
33. तब वे निवास को मूसा के पास ले आए, अर्थात घुंडियां, तख्ते, बेंड़े, खम्भे, कुसिर्यां आदि सारे सामान समेत तम्बू;
34. और लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का ओढ़ना, और सूइसों की खालों का ओढ़ना, और बीच का पर्दा;
35. डण्डों सहित साक्षीपत्र का सन्दूक, और प्रायश्चित्त का ढकना;
36. सारे सामान समेत मेज़, और भेंट की रोटी;
37. सारे सामान सहित दीवट, और उसकी सजावट के दीपक और उजियाला देने के लिये तेल;
38. सोने की वेदी, और अभिषेक का तेल, और सुगन्धित धूप, और तम्बू के द्वार का पर्दा;
39. पीतल की झंझरी, डण्डों, और सारे सामान समेत पीतल की वेदी; और पाए समेत हौदी;
40. खम्भों, और कुसिर्यों समेत आंगन के पर्दे, और आंगन के द्वार का पर्दा, और डोरियां, और खूंटे, और मिलापवाले तम्बू के निवास की सेवकाई का सारा सामान;
41. पवित्रस्थान में सेवा टहल करने के लिये बेल बूटा काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र जिन्हें पहिनकर उन्हें याजक का काम करना था।
42. अर्थात जो जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थीं उन्हीं के अनुसार इस्त्राएलियों ने सब काम किया।
43. तब मूसा ने सारे काम का निरीक्षण करके देखा, कि उन्होंने यहोवा की आज्ञा के अनुसार सब कुछ किया है। और मूसा ने उन को आशीर्वाद दिया॥