26. और इनके लिये भी उसने चांदी की चालीस कुसिर्यां, अर्थात एक एक तख्ते के नीचे दो दो कुसिर्यां बनाईं।
27. और निवास की पिछली अलंग, अर्थात पश्चिम ओर के लिये उसने छ: तख्ते बनाए।
28. और पिछली अलंग में निवास के कोनों के लिये उसने दो तख्ते बनाए।
29. और वे नीचे से दो दो भाग के बने, और दोनों भाग ऊपर से सिरे तक उन दोनों तख्तों का ढब ऐसा ही बनाया।
30. इस प्रकार आठ तख्ते हुए, और उनकी चांदी की सोलह कुसिर्यां हुईं, अर्थात एक एक तख्ते के नीचे दो दो कुसिर्यां हुईं।
31. फिर उसने बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनाए, अर्थात निवास की एक अलंग के तख्तों के लिये पांच बेंड़े,
32. और निवास की दूसरी अलंग के तख्तों के लिये पांच बेंड़े, और निवास की जो अलंग पश्चिम ओर पिछले भाग में थी उसके लिये भी पांच बेंड़े, बनाए।
33. और उसने बीच वाले बेंड़े को तख्तों के मध्य में तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंचने के लिये बनाया।
34. और तख्तों को उसने सोने से मढ़ा, और बेंड़ों के घर को काम देने वाले कड़ों को सोने के बनाया, और बेंड़ों को भी सोने से मढ़ा॥