9. फिर एपोद और चपरास के लिये सुलैमानी मणि और जड़ने के लिये मणि।
10. और तुम में से जितनों के हृदय में बुद्धि का प्रकाश है वे सब आकर जिस जिस वस्तु की आज्ञा यहोवा ने दी है वे सब बनाएं।
11. अर्थात तम्बू, और ओहार समेत निवास, और उसकी घुंडी, तख्ते, बेंड़े, खम्भे और कुसिर्यां;
12. फिर डण्डों समेत सन्दूक, और प्रायश्चित्त का ढकना, और बीचवाला पर्दा;
13. डण्डों और सब सामान समेत मेज़, और भेंट की रोटियां;
14. सामान और दीपकों समेत उजियाला देनेवाला दीवट, और उजियाला देने के लिये तेल;
15. डण्डों समेत धूपवेदी, अभिषेक का तेल, सुगन्धित धूप, और निवास के द्वार का पर्दा;
16. पीतल की झंझरी, डण्डों आदि सारे सामान समेत होमवेदी, पाए समेत हौदी;
17. खम्भों और उनकी कुसिर्यों समेत आंगन के पर्दे, और आंगन के द्वार के पर्दे;
18. निवास और आंगन दोनों के खूंटे, और डोरियां;
19. पवित्रस्थान में सेवा टहल करने के लिये काढ़े हुए वस्त्र, और याजक का काम करने के लिये हारून याजक के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र भी॥