30. और निवास को इस रीति खड़ा करना जैसा इस पर्वत पर तुझे दिखाया गया है॥
31. फिर नीले, बैजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनी वाले कपड़े का एक बीचवाला पर्दा बनवाना; वह कढ़ाई के काम किये हुए करूबों के साथ बने।
32. और उसको सोने से मढ़े हुए बबूल के चार ख्म्भों पर लटकाना, इनकी अंकडिय़ां सोने की हों, और ये चांदी की चार कुसिर्यों पर खड़ी रहें।
33. और बीच वाले पर्दे को अंकडिय़ों के नीचे लटकाकर, उसकी आड़ में साक्षीपत्र का सन्दूक भीतर लिवा ले जाना; सो वह बीचवाला पर्दा तुम्हारे लिये पवित्रस्थान को परमपवित्रस्थान से अलग किये रहे।
34. फिर परमपवित्र स्थान में साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर प्रायश्चित्त के ढकने को रखना।
35. और उस पर्दे के बाहर निवास की उत्तर अलंग मेज़ रखना; और उसकी दक्खिन अलंग मेज़ के साम्हने दीवट को रखना।
36. फिर तम्बू के द्वार के लिये नीले, बैंजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनी वाले कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ एक पर्दा बनवाना।
37. और इस पर्दे के लिये बबूल के पांच खम्भे बनवाना, और उन को सोने से मढ़वाना; उनकी कडियां सोने की हो, और उनके लिये पीतल की पांच कुसिर्यां ढलवा कर बनवाना॥