निर्गमन 22:8-26 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

8. और यदि चोर न पकड़ा जाए, तो घर का स्वामी परमेश्वर के पास लाया जाए, कि निश्चय हो जाय कि उसने अपने भाई बन्धु की सम्पत्ति पर हाथ लगाया है वा नहीं।

9. चाहे बैल, चाहे गदहे, चाहे भेड़ वा बकरी, चाहे वस्त्र, चाहे किसी प्रकार की ऐसी खोई हुई वस्तु के विषय अपराध क्यों न लगाया जाय, जिसे दो जन अपनी अपनी कहते हों, तो दोनों का मुकद्दमा परमेश्वर के पास आए; और जिस को परमेश्वर दोषी ठहराए वह दूसरे को दूना भर दे॥

10. यदि कोई दूसरे को गदहा वा बैल वा भेड़-बकरी वा कोई और पशु रखने के लिये सौपें, और किसी के बिना देखे वह मर जाए, वा चोट खाए, वा हांक दिया जाए,

11. तो उन दोनो के बीच यहोवा की शपथ खिलाई जाए कि मैं ने इसकी सम्पत्ति पर हाथ नहीं लगाया; तब सम्पत्ति का स्वामी इस को सच माने, और दूसरे को उसे कुछ भी भर देना न होगा।

12. यदि वह सचमुच उसके यहां से चुराया गया हो, तो वह उसके स्वामी को उसे भर दे।

13. और यदि वह फाड़ डाला गया हो, तो वह फाड़े हुए को प्रमाण के लिये ले आए, तब उसे उसको भी भर देना न पड़ेगा॥

14. फिर यदि कोई दूसरे से पशु मांग लाए, और उसके स्वामी के संग न रहते उसको चोट लगे वा वह मर जाए, तो वह निश्चय उसकी हानि भर दे।

15. यदि उसका स्वामी संग हो, तो दूसरे को उसकी हानि भरना न पड़े; और यदि वह भाड़े का हो तो उसकी हानि उसके भाड़े में आ गई॥

16. यदि कोई पुरूष किसी कन्या को जिसके ब्याह की बात न लगी हो फुसलाकर उसके संग कुकर्म करे, तो वह निश्चय उसका मोल देके उसे ब्याह ले।

17. परन्तु यदि उसका पिता उसे देने को बिल्कुल इनकार करे, तो कुकर्म करने वाला कन्याओं के मोल की रीति के अनुसार रूपये तौल दे॥

18. तू डाइन को जीवित रहने न देना॥

19. जो कोई पशुगमन करे वह निश्चय मार डाला जाए॥

20. जो कोई यहोवा को छोड़ किसी और देवता के लिये बलि करे वह सत्यनाश किया जाए।

21. और परदेशी को न सताना और न उस पर अन्धेर करना क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे।

22. किसी विधवा वा अनाथ बालक को दु:ख न देना।

23. यदि तुम ऐसों को किसी प्रकार का दु:ख दो, और वे कुछ भी मेरी दोहाई दें, तो मैं निश्चय उनकी दोहाई सुनूंगा;

24. तब मेरा क्रोध भड़केगा, और मैं तुम को तलवार से मरवाऊंगा, और तुम्हारी पत्नियां विधवा और तुम्हारे बालक अनाथ हो जाएंगे॥

25. यदि तू मेरी प्रजा में से किसी दीन को जो तेरे पास रहता हो रूपए का ऋण दे, तो उससे महाजन की नाईं ब्याज न लेना।

26. यदि तू कभी अपने भाईबन्धु के वस्त्र को बन्धक करके रख भी ले, तो सूर्य के अस्त होने तक उसको लौटा देना;

निर्गमन 22