17. परन्तु यदि उसका पिता उसे देने को बिल्कुल इनकार करे, तो कुकर्म करने वाला कन्याओं के मोल की रीति के अनुसार रूपये तौल दे॥
18. तू डाइन को जीवित रहने न देना॥
19. जो कोई पशुगमन करे वह निश्चय मार डाला जाए॥
20. जो कोई यहोवा को छोड़ किसी और देवता के लिये बलि करे वह सत्यनाश किया जाए।
21. और परदेशी को न सताना और न उस पर अन्धेर करना क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे।
22. किसी विधवा वा अनाथ बालक को दु:ख न देना।
23. यदि तुम ऐसों को किसी प्रकार का दु:ख दो, और वे कुछ भी मेरी दोहाई दें, तो मैं निश्चय उनकी दोहाई सुनूंगा;
24. तब मेरा क्रोध भड़केगा, और मैं तुम को तलवार से मरवाऊंगा, और तुम्हारी पत्नियां विधवा और तुम्हारे बालक अनाथ हो जाएंगे॥
25. यदि तू मेरी प्रजा में से किसी दीन को जो तेरे पास रहता हो रूपए का ऋण दे, तो उससे महाजन की नाईं ब्याज न लेना।
26. यदि तू कभी अपने भाईबन्धु के वस्त्र को बन्धक करके रख भी ले, तो सूर्य के अस्त होने तक उसको लौटा देना;
27. क्योंकि वह उसका एक ही ओढ़ना है, उसकी देह का वही अकेला वस्त्र होगा फिर वह किसे ओढ़कर सोएगा? तोभी जब वह मेरी दोहाई देगा तब मैं उसकी सुनूंगा, क्योंकि मैं तो करूणामय हूं॥
28. परमेश्वर को श्राप न देना, और न अपने लोगों के प्रधान को श्राप देना।
29. अपने खेतों की उपज और फलों के रस में से कुछ मुझे देने में विलम्ब न करना। अपने बेटों में से पहिलौठे को मुझे देना।
30. वैसे ही अपनी गायों और भेड़-बकरियों के पहिलौठे भी देना; सात दिन तक तो बच्चा अपनी माता के संग रहे, और आठवें दिन तू उसे मुझे दे देना।
31. और तुम मेरे लिये पवित्र मनुष्य बनना; इस कारण जो पशु मैदान में फाड़ा हुआ पड़ा मिले उसका मांस न खाना, उसको कुत्तों के आगे फेंक देना॥