15. जो अपने पिता वा माता को मारे-पीटे वह निश्चय मार डाला जाए॥
16. जो किसी मनुष्य को चुराए, चाहे उसे ले जा कर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी निश्चय मार डाला जाए॥
17. जो अपने पिता वा माता को श्राप दे वह भी निश्चय मार डाला जाए॥
18. यदि मनुष्य झगड़ते हों, और एक दूसरे को पत्थर वा मुक्के से ऐसा मारे कि वह मरे नहीं परन्तु बिछौने पर पड़ा रहे,
19. तो जब वह उठ कर लाठी के सहारे से बाहर चलने फिरने लगे, तब वह मारने वाला निर्दोष ठहरे; उस दशा में वह उसके पड़े रहने के समय की हानि तो भर दे, ओर उसको भला चंगा भी करा दे॥
20. यदि कोई अपने दास वा दासी को सोंटे से ऐसा मारे कि वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको निश्चय दण्ड दिया जाए।
21. परन्तु यदि वह दो एक दिन जीवित रहे, तो उसके स्वामी को दण्ड न दिया जाए; क्योंकि वह दास उसका धन है॥
22. यदि मनुष्य आपस में मारपीट करके किसी गभिर्णी स्त्री को ऐसी चोट पहुचाए, कि उसका गर्भ गिर जाए, परन्तु और कुछ हानि न हो, तो मारने वाले से उतना दण्ड लिया जाए जितना उस स्त्री का पति पंच की सम्मति से ठहराए।
23. परन्तु यदि उसको और कुछ हानि पहुंचे, तो प्राण की सन्ती प्राण का,