नहेमायाह 9:29-38 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

29. और उन को चिताता था कि उन को फिर अपनी व्यवस्था के आधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएं नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिन को यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरुद्ध पाप करते, और हठ कर के अपना कन्धा हटाते और न सुनते थे।

30. तू तो बहुत वर्ष तक उनकी सहता रहा, और अपने आत्मा से नबियों के द्वारा उन्हें चिताता रहा, परन्तु वे कान नहीं लगाते थे, इसलिये तू ने उन्हें देश देश के लोगों के हाथ में कर दिया।

31. तौभी तू ने जो अतिदयालु है, उनका अन्त नहीं कर डाला और न उन को त्याग दिया, क्योंकि तू अनुग्रहकारी और दयालु ईश्वर है।

32. अब तो हे हमारे परमेश्वर! हे महान पराक्रमी और भययोग्य ईश्वर! जो अपनी वाचा पालता और करुणा करता रहा है, जो बड़ा कष्ट, अश्शूर के राजाओं के दिनों से ले आज के दिन तक हमें और हमारे राजाओं, हाकिमों, याजकों, नबियों, पुरखाओं, वरन तेरी समस्त प्रजा को भोगना पड़ा है, वह तेरी दृष्टि में थोड़ा न ठहरे।

33. तौभी जो कुछ हम पर बीता है उसके विष्य तू तो धमीं है; तू ने तो सच्चाई से काम किया है, परन्तु हम ने दुष्टता की है।

34. और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उन को चिताया था।

35. उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।

36. देख, हम आज कल दास हैं; जो देश तू ने हमारे पितरों को दिया था कि उसकी उत्तम उपज खाएं, इसी में हम दास हैं।

37. इसकी उपज से उन राजाओं को जिन्हें तू ने हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर ठहराया है, बहुत धन मिलता है; और वे हमारे शरीरों और हमारे पशुओं पर अपनी अपनी इच्छा के अनुसार प्रभुता जताते हैं, इसलिये हम बड़े संकट में पड़े हैं।

38. इस सब के कारण, हम सच्चई के साथ वाचा बान्धते, और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, लेवीय और याजक उस पर छाप लगाते हैं।

नहेमायाह 9