16. तब राजा ने आज्ञा दी, और दानिय्येल लाकर सिंहों की मान्द में डाल दिया गया। उस समय राजा ने दानिय्येल से कहा, तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, वही तुझे बचाए!
17. तब एक पत्थर लाकर उस गड़हे के मुंह पर रखा गया, और राजा ने उस पर अपनी अंगूठी से, और अपने प्रधानों की अंगूठियों से मुहर लगा दी कि दानिय्येल के विषय में कुछ बदलने ने पाए।
18. तब राजा अपने महल में चला गया, और उस रात को बिना भोजन पड़ा रहा; और उसके पास सुख विलास की कोई वस्तु नहीं पहुंचाई गई, और उसे नींद भी नहीं आई॥
19. भोर को पौ फटते ही राजा उठा, और सिंहों के गड़हे की ओर फुर्ती से चला गया।