11. जो बात राजा पूछता है, वह अनोखी है, और देवताओं को छोड़ कर जिनका निवास मनुष्यों के संग नहीं है, और कोई दूसरा नहीं, जो राजा को यह बता सके॥
12. इस पर राजा ने झुंझलाकर, और बहुत की क्रोधित हो कर, बाबुल के सब पण्डितों के नाश करने की आज्ञा दे दी।
13. सो यह आज्ञा निकली, और पण्डित लोगों का घात होने पर था; और लोग दानिय्येल और उसके संगियों को ढूंढ़ रहे थे कि वे भी घात किए जाएं।
14. तब दानिय्येल ने, जल्लादों के प्रधान अर्योक से, जो बाबुल के पण्डितों को घात करने के लिये निकला था, सोच विचार कर और बुद्धिमानी के साथ कहा;
15. और राजा के हाकिम अर्योक से पूछने लगा, यह आज्ञा राजा की ओर से ऐसी उतावली के साथ क्यों निकली? तब अर्योक ने दानिय्येल को इसका भेद बता दिया।
16. और दानिय्येल ने भीतर जा कर राजा से बिनती की, कि उसके लिये कोई समय ठहराया जाए, तो वह महाराज को स्वप्न का फल बता देगा।
17. तब दानिय्येल ने अपने घर जा कर, अपने संगी हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह को यह हाल बता कर कहा,
18. इस भेद के विषय में स्वर्ग के परमेश्वर की दया के लिये यह कह कर प्रार्थना करो, कि बाबुल के और सब पण्डितों के संग दानिय्येल और उसके संगी भी नाश न किए जाएं।
19. तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। सो दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कह कर धन्यवाद किया,
20. परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।
21. समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझ वालों को समझ भी वही देता है;
22. वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अन्धियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है।
23. हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूं, क्योंकि तू ने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों न तुझ से मांगे था, उसे तू ने मुझ पर प्रगट किया है, तू ने हम को राजा की बात बताई है।
24. तब दानिय्येल ने अर्योक के पास, जिसे राजा ने बाबुल के पण्डितों के नाश करने के लिये ठहराया था, भीतर जा कर कहा, बाबुल के पण्डितों का नाश न कर, मुझे राजा के सम्मुख भीतर ले चल, मैं फल बताऊंगा॥
25. तब अर्योक ने दानिय्येल को राजा के सम्मुख शीघ्र भीतर ले जा कर उस से कहा, यहूदी बंधुओं में से एक पुरूष मुझ को मिला है, जो राजा को स्वप्न का फल बताएगा।
26. राजा ने दानिय्येल से, जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, पूछा, क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैं ने देखा है, उसे फल समेत मुझे बताए?
27. दानिय्येल ने राजा का उत्तर दिया, जो भेद राजा पूछता है, वह न तो पण्डित न तन्त्री, न ज्योतिषी, न दूसरे भावी बताने वाले राजा को बता सकते हैं,
28. परन्तु भेदों का प्रगटकर्त्ता परमेश्वर स्वर्ग में है; और उसी ने नबूकदनेस्सर राजा को जताया है कि अन्त के दिनों में क्या क्या होने वाला है। तेरा स्वपन और जो कुछ तू ने पलंग पर पड़े हुए देखा, वह यह है:
29. हे राजा, जब तुझ को पलंग पर यह विचार हुआ कि भविष्य में क्या क्या होने वाला है, तब भेदों को खोलने वाले ने तुझ को बताया, कि क्या क्या होने वाला है।
30. मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं और सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूं, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वपन का फल राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके॥