6. जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़के बाले विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।
7. क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पियक्कड़, न मार पीट करने वाला, और न नीच कमाई का लोभी।
8. पर पहुनाई करने वाला, भलाई का चाहने वाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्द्रिय हो।
9. और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके॥
10. क्योंकि बहुत से लोग निरंकुश बकवादी और धोखा देने वाले हैं; विशेष करके खतना वालों में से।