25. तब गादियों और रूबेनियों ने मूसा से कहा, अपने प्रभु की आज्ञा के अनुसार तेरे दास करेंगे।
26. हमारे बाल-बच्चे, स्त्रियां, भेड़-बकरी आदि, सब पशु तो यहीं गिलाद के नगरों में रहेंगे;
27. परन्तु अपने प्रभु के कहे के अनुसार तेरे दास सब के सब युद्ध के लिये हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे लड़ने को पार जाएंगे।
28. तब मूसा ने उनके विषय में एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्त्राएलियों के गोत्रों के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को यह आज्ञा दी,
29. कि यदि सब गादी और रूबेनी पुरूष युद्ध के लिये हथियार-बन्द तुम्हारे संग यरदन पार जाएं, और देश तुम्हारे वश में आ जाए, तो गिलाद देश उनकी निज भूमि होने को उन्हें देना।
30. परन्तु यदि वे तुम्हारे संग हथियार-बन्द पार न जाएं, तो उनकी निज भूमि तुम्हारे बीच कनान देश में ठहरे।
31. तब गादी और रूबेनी बोल उठे, यहोवा ने जैसा तेरे दासों से कहलाया है वैसा ही हम करेंगे।
32. हम हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे उस पार कनान देश में जाएंगे, परन्तु हमारी निज भूमि यरदन के इसी पार रहे॥
33. तब मूसा ने गादियों और रूबेनियों को, और यूसुफ के पुत्र मनश्शे के आधे गोत्रियों को एमोरियों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग, दोनों के राज्यों का देश, नगरों, और उनके आसपास की भूमि समेत दे दिया।
34. तब गादियों ने दीबोन, अतारोत, अरोएर,
35. अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा,
36. बेतनिम्रा, और बेयारान नाम नगरों को दृढ़ किया, और उन में भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाए।