13. सो यहोवा का कोप इस्त्राएलियों पर भड़का, और जब तक उस पीढ़ी के सब लोगों का अन्त न हुआ, जिन्होंने यहोवा के प्रति बुरा किया था, तब तक अर्थात चालीस वर्ष तक वह जंगल में मारे मारे फिराता रहा।
14. और सुनो, तुम लोग उन पापियों के बच्चे हो कर इसी लिये अपने बाप-दादों के स्थान पर प्रकट हुए हो, कि इस्त्राएल के विरुद्ध यहोवा से भड़के हुए कोप को और भड़काओ!
15. यदि तुम उसके पीछे चलने से फिर जाओ, तो वह फिर हम सभों को जंगल में छोड़ देगा; इस प्रकार तुम इन सारे लोगों का नाश कराओगे।
16. तब उन्होंने मूसा के और निकट आकर कहा, हम अपने ढ़ोरों के लिये यहीं भेड़शाले बनाएंगे, और अपने बाल-बच्चों के लिये यहीं नगर बसाएंगे,
17. परन्तु आप इस्त्राएलियों के आगे आगे हथियार बन्द तब तक चलेंगे, जब तक उन को उनके स्थान में न पहुंचा दे; परन्तु हमारे बाल-बच्चे इस देश के निवासियों के डर से गढ़ वाले नगरों में रहेंगे।
18. परन्तु जब तक इस्त्राएली अपने अपने भाग के अधिकारी न हों तब तक हम अपने घरों को न लौटेंगे।
19. हम उनके साथ यरदन पार वा कहीं आगे अपना भाग न लेंगे, क्योंकि हमारा भाग यरदन के इसी पार पूरब की ओर मिला है।
20. तब मूसा ने उन से कहा, यदि तुम ऐसा करो, अर्थात यदि तुम यहोवा के आगे आगे युद्ध करने को हथियार बान्धो।
21. और हर एक हथियार-बन्द यरदन के पार तब तक चले, जब तक यहोवा अपने आगे से अपने शत्रुओं को न निकाले
22. और देश यहोवा के वश में न आए; तो उसके पीछे तुम यहां लौटोगे, और यहोवा के और इस्त्राएल के विषय निर्दोष ठहरोगे; और यह देश यहोवा के प्रति तुम्हारी निज भूमि ठहरेगा।
23. और यदि तुम ऐसा न करो, तो यहोवा के विरुद्ध पापी ठहरोगे; और जान रखो कि तुम को तुम्हारा पाप लगेगा।
24. तुम अपने बाल-बच्चों के लिये नगर बसाओ, और अपनी भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाओ; और जो तुम्हारे मुंह से निकला है वही करो।
25. तब गादियों और रूबेनियों ने मूसा से कहा, अपने प्रभु की आज्ञा के अनुसार तेरे दास करेंगे।
26. हमारे बाल-बच्चे, स्त्रियां, भेड़-बकरी आदि, सब पशु तो यहीं गिलाद के नगरों में रहेंगे;
27. परन्तु अपने प्रभु के कहे के अनुसार तेरे दास सब के सब युद्ध के लिये हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे लड़ने को पार जाएंगे।