19. और तुम लोग सात दिन तक छावनी के बाहर रहो, और तुम में से जितनों ने किसी प्राणी को घात किया, और जितनों ने किसी मरे हुए को छूआ हो, वे सब अपने अपने बन्धुओं समेत तीसरे और सातवें दिनों में अपने अपने को पाप छुड़ाकर पावन करें।
20. और सब वस्त्रों, और चमड़े की बनी हुई सब वस्तुओं, और बकरी के बालों की और लकड़ी की बनी हुई सब वस्तुओं को पावन कर लो।
21. तब एलीआजर याजक ने सेना के उन पुरूषों से जो युद्ध करने गए थे कहा, व्यवस्था की जिस विधि की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी है वह यह है,
22. कि सोना, चांदी, पीतल, लोहा, रांगा, और सीसा,
23. जो कुछ आग में ठहर सके उसको आग में डालो, तब वह शुद्ध ठहरेगा; तौभी वह अशुद्धता छुड़ाने वाले जल के द्वारा पावन किया जाए; परन्तु जो कुछ आग में न ठहर सके उसे जल में डुबाओ।
24. और सातवें दिन अपने वस्त्रों को धोना, तब तुम शुद्ध ठहरोगे; और तब छावनी में आना॥
25. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
26. एलीआजर याजक और मण्डली के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को साथ ले कर तू लूट के मनुष्यों और पशुओं की गिनती कर;
27. तब उन को आधा आधा करके एक भाग उन सिपाहियों को जो युद्ध करने को गए थे, और दूसरा भाग मण्डली को दे।
28. फिर जो सिपाही युद्ध करने को गए थे, उनके आधे में से यहोवा के लिये, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियां
29. पांच सौ के पीछे एक को मानकर ले ले; और यहोवा की भेंट करके एलीआजर याजक को दे दे।
30. फिर इस्त्राएलियों के आधे में से, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियां, क्या किसी प्रकार का पशु हो, पचास के पीछे एक ले कर यहोवा के निवास की रखवाली करने वाले लेवियों को दे।
31. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी मूसा और एलीआजर याजक ने किया।
32. और जो वस्तुएं सेना के पुरूषों ने अपने अपने लिये लूट ली थीं उन से अधिक की लूट यह थी; अर्थात छ: लाख पचहत्तर हजार भेड़-बकरियां,
33. बहत्तर हजार गाय बैल,
34. इकसठ हजार गदहे,
35. और मनुष्यों में से जिन स्त्रियों ने पुरूष का मुंह नहीं देखा था वह सब बत्तीस हजार थीं।
36. और इसका आधा, अर्थात उनका भाग जो युद्ध करने को गए थे, उस में भेड़बकरियां तीन लाख साढ़े सैंतीस हजार,
37. जिस में से पौने सात सौ भेड़-बकरियां यहोवा का कर ठहरीं।