19. इस्त्राएलियों ने उसके पास फिर कहला भेजा, कि हम सड़क ही सड़क चलेंगे, और यदि हम और हमारे पशु तेरा पानी पीएं, तो उसका दाम देंगे, हम को और कुछ नहीं, केवल पांव पांव चलकर निकल जाने दे।
20. परन्तु उसने कहा, तू आने न पाएगा। और एदोम बड़ी सेना ले कर भुजबल से उसका साम्हना करने को निकल आया।
21. इस प्रकार एदोम ने इस्त्राएल को अपने देश के भीतर से हो कर जाने देने से इन्कार किया; इसलिये इस्त्राएल उसकी ओर से मुड़ गए॥
22. तब इस्त्राएलियों की सारी मण्डली कादेश से कूच करके होर नाम पहाड़ के पास आ गई।
23. और एदोम देश के सिवाने पर होर पहाड़ में यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
24. हारून अपने लोगों में जा मिलेगा; क्योंकि तुम दोनों ने जो मरीबा नाम सोते पर मेरा कहना छोड़कर मुझ से बलवा किया है, इस कारण वह उस देश में जाने न पाएगा जिसे मैं ने इस्त्राएलियों को दिया है।
25. सो तू हारून और उसके पुत्र एलीआजर को होर पहाड़ पर ले चल;
26. और हारून के वस्त्र उतार के उसके पुत्र एलीआजर को पहिना; तब हारून वहीं मरकर अपने लोगों मे जा मिलेगा।
27. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने किया; वे सारी मण्डली के देखते होर पहाड़ पर चढ़ गए।
28. तब मूसा ने हारून के वस्त्र उतार के उसके पुत्र एलीआजर को पहिनाए और हारून वहीं पहाड़ की चोटी पर मर गया। तब मूसा और एलीआजर पहाड़ पर से उतर आए।
29. और जब इस्त्राएल की सारी मण्डली ने देखा कि हारून का प्राण छूट गया है, तब इस्त्राएल के सब घराने के लोग उसके लिये तीस दिन तक रोते रहे॥