3. और यहोवा के लिये क्या होमबलि, क्या मेलबलि, कोई हव्य चढ़ावो, चाहे वह विशेष मन्नत पूरी करने का हो चाहे स्वेच्छाबलि का हो, चाहे तुम्हारे नियत समयों में का हो, या वह चाहे गाय-बैल चाहे भेड़-बकरियों में का हो, जिस से यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध हो;
4. तब उस होमबलि वा मेलबलि के संग भेड़ के बच्चे पीछे यहोवा के लिये चौताई हिन तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके चढ़ाना,
5. और चौथाई हिन दाखमधु अर्घ करके देना।
6. और मेढ़े पीछे तिहाई हिन तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके चढ़ाना;
7. और उसका अर्घ यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने वाला तिहाई दिन दाखमधु देना।
8. और जब तू यहोवा को होमबलि वा किसी विशेष मन्नत पूरी करने के लिये बलि वा मेलबलि करके बछड़ा चढ़ाए,
9. तब बछड़े का चढ़ाने वाला उसके संग आध हिन तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके चढ़ाए।
10. और उसका अर्घ आध हिन दाखमधु चढ़ाए, वह यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य होगा।
11. एक एक बछड़े, वा मेढ़े, वा भेड़ के बच्चे, वा बकरी के बच्चे के साथ इसी रीति चढ़ावा चढ़ाया जाए।
12. तुम्हारे बलिपशुओं की जितनी गिनती हो, उसी गिनती के अनुसार एक एक के साथ ऐसा ही किया करना।
13. जितने देशी हों वे यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य चढ़ाते समय ये काम इसी रीति से किया करें।
14. और यदि कोई परदेशी तुम्हारे संग रहता हो, वा तुम्हारी किसी पीढ़ी में तुम्हारे बीच कोई रहने वाला हो, और वह यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य चढ़ाना चाहे, तो जिस प्रकार तुम करोगे उसी प्रकार वह भी करे।
15. मण्डली के लिये, अर्थात तुम्हारे और तुम्हारे संग रहने वाले परदेशी दोनों के लिये एक ही विधि हो; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह सदा की विधि ठहरे, कि जैसे तुम हो वैसे ही पर देशी भी यहोवा के लिये ठहरता है।
16. तुम्हारे और तुम्हारे संग रहने वाले परदेशियों के लिये एक ही व्यवस्था और एक ही नियम है॥
17. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
18. इस्त्राएलियों को मेरा यह वचन सुना, कि जब तुम उस देश में पहुंचो जहां मैं तुम को लिये जाता हूं,
19. और उस देश की उपज का अन्न खाओ, तब यहोवा के लिये उठाई हुई भेंट चढ़ाया करो।
20. अपने पहिले गूंधे हुए आटे की एक पपड़ी उठाई हुई भेंट करके यहोवा के लिये चढ़ाना; जैसे तुम खलिहान में से उठाई हुई भेंट चढ़ाओगे वैसे ही उसको भी उठाया करना।
21. अपनी पीढ़ी पीढ़ी में अपने पहिले गूंधे हुए आटे में से यहोवा को उठाई हुई भेंट दिया करना॥