3. और जब वे दोनों फूंकी जाएं, तब सारी मण्डली मिलापवाले तम्बू के द्वार पर तेरे पास इकट्ठी हो जाए।
4. और यदि एक ही तुरही फूंकी जाए, तो प्रधान लोग जो इस्त्राएल के हजारों के मुख्य पुरूष हैं तेरे पास इकट्ठे हो जाएं।
5. जब तुम लोग सांस बान्धकर फूंको, तो पूरब दिशा की छावनियों का प्रस्थान हो।
6. और जब तुम दूसरी बेर सांस बान्धकर फूंको, तब दक्खिन दिशा की छावनियों का प्रस्थान हो। उनके प्रस्थान करने के लिये वे सांस बान्धकर फूंकें।
7. और जब लोगों को इकट्ठा करके सभा करनी हो तब भी फूंकना परन्तु सांस बान्धकर नहीं।
8. और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे उन तुरहियों को फूंका करें। यह बात तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सर्वदा की विधि रहे।
9. और जब तुम अपने देश में किसी सताने वाले बैरी से लड़ने को निकलो, तब तुरहियों को सांस बान्धकर फूंकना, तब तुम्हारे परमेश्वर यहोवा को तुम्हारा स्मरण आएगा, और तुम अपने शत्रुओं से बचाए जाओगे।
10. और अपने आनन्द के दिन में, और अपने नियत पर्ब्बों में, और महीनों के आदि में, अपने होमबलियोंऔर मेलबलियों के साथ उन तुरहियों को फूंकना; इस से तुम्हारे परमेश्वर को तुम्हारा स्मरण आएगा; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं॥
11. और दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के बीसवें दिन को बादल साक्षी के निवास पर से उठ गया,
12. तब इस्त्राएली सीनै के जंगल में से निकलकर प्रस्थान करके निकले; और बादल पारान नाम जंगल में ठहर गया।
13. उनका प्रस्थान यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी आरम्भ हुआ।
14. और सब से पहले तो यहूदियों की छावनी के झंडे का प्रस्थान हुआ, और वे दल बान्धकर चले; और उन का सेनापति अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन था।
15. और इस्साकारियों के गोत्र का सेनापति सूआर का पुत्र नतनेल था।
16. और जबूलूनियों के गोत्र का सेनापति हेलोन का पुत्र एलीआब था।
17. तब निवास उतारा गया, और गेर्शोनियोंऔर मरारियों ने जो निवास को उठाते थे प्रस्थान किया।
18. फिर रूबेन की छावनी झंडे का कूच हुआ, और वे भी दल बनाकर चले; और उनका सेनापति शदेऊर का पुत्र एलीशूर था।
19. और शिमोनियों के गोत्र का सेनापति सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल था।